शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

कॉर्बेट पार्क में एक और बाघ की मौत


उत्तराखंड १९ फरवरी २०११/रामनगर का कॉर्बेट नेशनल पार्क वन्य जीवो की कब्रगाह बनता जा रहा है यहाँ बाघ और हाथियों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है,रामनगर के वन्य जीव बाहुल्य यहाँ के जंगलो में बीते एक महीने में चार बाघों और चार हाथियों की मौत हो चुकी है,वन्य जीव सरक्षण के लिए दुनिया भर में पहचाने जाने वाला कॉर्बेट पार्क पिछले कुछ समय से बाघों और हाथियों की मौतों की वजह से सुर्खियों में है,बाघों और हाथियों की लगातार होती मौतों ने कॉर्बेट टाईगर रिजर्व और वन महकमे के बड़े अधिकारियो की कार्यशैली पर भी तमाम सवाल खड़े कर दिए है,शनिवार को भी कॉर्बेट टाईगर रिजर्व के कालागढ़ रेंज में एक बाघ की संदिग्ध परिस्तिथियों में मौत हो गयी,हैरानी की बात तो ये है कि मारे गए बाघ की कवरेज करने मिडिया कर्मी जब मौके पर जाने लगे तो उनको कॉर्बेट टाईगर रिजर्व की खाटपानी चौकी पर ही रोक दिया गया,मिडिया कर्मी बाघ की मौत का सच जानने के लिए उस जगह पर पहुचना चाह रहे थे जहाँ पर बाघ मरा था,कॉर्बेट के तमाम अधिकारी और कर्मचारी घटना स्थल पर मौजूद थे,थोड़ी देर में प्रमुख वन्य जीव प्रतिपालक श्रीकांत चंदोला और राज्य वन्य जीव सरक्षण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष अनिल बलूनी ने भी उस जगह का मुआयना किया जहाँ बाघ मरा था,वन्य जीव प्रतिपालक श्रीकान्त चंदोला ने मिडिया कर्मियों को घटना स्थल पर नहीं जाने दिया,ऐसे में बाघ की मौत की असली वजह पर पर्दा डालने की कोशिश यहाँ की गयी है,बाघों की लगातार मौतों को प्राकृतिक मौत करार देने वाले वाईल्ड लाईफ अधिकारी सदेह के घेरे में है कि आंखिर बाघ की मौत को मिडिया से क्यूँ छुपाना चाह रहे है,जबकि कॉर्बेट प्रशासन ने पहले ये कहा था कि जब किसी बाघ या हाथी या अन्य किसी वन्य जीव की मौत होने पर उसका पोस्टमातम मिडिया और बाघ सरक्षण में लगी समिति के सम्मुख ही किया जाएगा ताकि पारदर्शिका बनी रहे तो फिर अब इस बाघ की मौत क्यों छुपाया जा रहा है ? इस पर वाईल्ड अधिकारियो पर संदेह हो रहा है,आपको बता दे कि कॉर्बेट पार्क में वन्य जीव तस्करों का गिरोह सक्रीय है कुछ दिन पहले छ सदस्यों का एक गिरोह यहाँ पकड़ा भी गया जिनसे बाघ की खाल और हाथी के दात भी बरामद हुए थे,शनिवार को मारा गया बाघ भी कहीं किसी गिरोह का शिकार तो नहीं हुआ? जिसे वाईल्ड लाईफ अधिकारी अपनी गर्दन बचाने के लिए दबा रहे हो?हो सकता है वाईल्ड लाईफ अधिकारी अपनी खामियों को छुपाने के लिए बाघ की मौत को दूसरा रूप देने की कोशिश कर रहे हो,कॉर्बेट पार्क में लगातार होती बाघों की मौत का असली सच क्या है ये कोई भी नहीं जान पाया है,हमेशा जो कॉर्बेट के अधिकारी बताते है उसी को कोई ही सच मान लिया जाता है,लेकिन जो सच मिडिया लोगो तक पहुचाने के लिए बाघ की मौत को अपने कमरे में कैद करने के लिए घटना स्थल पर पहुँचने की कोशिश करता है तो उसे रोक दिया जाता है,आंखिर कॉर्बेट प्रशासन बाघ की मौत पर पारदर्शिता क्यूँ नहीं अपना रहा ?इससे उन पर सदेह उठता है,कुल मिलकर ये कहा जा सकता है कि कॉर्बेट पार्क के अन्दर हालात ठीक नहीं है,वन्य जीवो के सरक्षण के लिए बने इस पार्क में बाघ और हाथी एक के बाद एक मौत की नींद सो रहे है,जिससे वन्य जीव प्रेमी खासे चिंता में है.बाघों की लगातार होती संदेह जनक मौतों के लिए गैर जिम्मेदार वाईल्ड लाईफ अधिकारियो को जिम्मेदार ठहरा रहे है.

1 टिप्पणी:

  1. "कॉर्बेट पार्क के अन्दर हालात ठीक नहीं है" - चिंतनीय

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